Board of Apprenticeship Training (Western Region), Mumbai

  • December 4th, 2023 | 6:02 PM
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शिक्षु प्रशिक्षण मंडल (पश्‍चिमी क्षेत्र), मुंबई

प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (पश्चिमी क्षेत्र), मुंबई

शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

हमारे बारे में

हमारे बारे में -

भारत में ‘राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना’ यह छह माह से 3 वर्ष तक का कार्यक्रम है, जो तकनीकी रूप से शिक्षित युवाओं को उनके विषय क्षेत्र में उन्हें आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान और कौशल से परिपूर्ण करती है। प्रशिक्षुओं को संगठनों द्वारा उनके कार्यस्थल पर ही प्रशिक्षण दिया जाता है। अच्छी तरह से विकसित प्रशिक्षण मॉड्यूल के साथ प्रशिक्षित प्रबंधक यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रशिक्षु, काम जल्दी और सक्षमता से सीखें। प्रशिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि के दौरान, प्रशिक्षुओं को वृतिका की राशि का भुगतान किया जाता है, जिसकी 50% राशि नियोक्ता को भारत सरकार द्वारा दी जाती है। प्रशिक्षण की समाप्तिपर प्रशिक्षुओं को भारत सरकार द्वारा ‘योग्यता प्रमाणपत्र’ जारी किया जाता है, जो रोजगार अनुभव के रूप में वैध है और उसे पूरे भारत के सभी रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत किया जा सकता है। केंद्रीय, राज्य और निजी संगठनों में जिनके पास उत्कृष्ट प्रशिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध हैं, उन प्रतिष्ठानों मे प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के लिए रखा जाता है । राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना भारतीय युवाओं को कुशल बनाने के लिए भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है।
लगभग पांच दशक पहले की गई वैज्ञानिक मानवशक्ति समिति की अनुशंसा के अनुसरण नुसार, भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय ने नव उत्तीर्ण इंजीनियरिंग स्नातकों और डिप्लोमा धारकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से एक ‘व्यावहारिक प्रशिक्षण वजीफा वृत्तिका योजना’ शुरू की।
इस योजना को सीधे शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रशासित किया गया था, शुरुआत में इस योजना के तहत, स्वैच्छिक आधार पर भाग लेने वाले उद्योगों/प्रतिष्ठानों से प्रशिक्षुओं को देय वृत्तिका की लागत को समान रूप से बाँटने का अनुरोध किया गया था। चूंकि योजना के प्रति, उद्योगों/प्रतिष्ठानों की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक थी और जरूरतमंद उम्मीदवारों की ओर से प्रशिक्षण की मांग भी समान रूप से बढ़ रही थी, इसलिए योजना को चार क्षेत्रीय कार्यालयों में प्रशासन के लिए विकेंद्रीकृत किया गया। जैसे ही प्रशिक्षण की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी, भारत सरकार ने वर्ष 1969 में चेन्नई, कानपुर, मुंबई और कोलकाता में “स्वायत्त संगठनों” के रूप में चार क्षेत्रीय प्रशिक्षुता/व्यावहारिक प्रशिक्षण मंडल स्थापित किए, जिनमें औद्योगिक संघों और संगठनों, सरकारें और अन्य व्यावसायिक निकाय इनका प्रतिनिधित्व था।
इस प्रकार इस योजना का प्रशासन प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 (1973 में संशोधित) के प्रावधानों के तहत नए इंजीनियरिंग स्नातकों/तकनीशियन प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षुता प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करने के उद्देश्य के साथ इन मंडलों को सौंपा गया। 1986 में 10+2 वोकेशनल/जूनियर कॉलेज/इंटरमीडिएट उत्तीर्ण छात्रों को प्रशिक्षु अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत लाने के लिए अधिनियम में एक बार फिर से संशोधन किया गया। प्रशिक्षुओं की इस नई श्रेणी को तकनीशियन (व्यावसायिक) प्रशिक्षु कहा गया। क्षेत्रीय मंडलों की स्थापना के बाद, प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना को प्रशासन में प्रत्यक्ष जिम्मेदारी और स्वायत्तता सौंपते हुए, चार क्षेत्रीय मंडलों को स्थानांतरित कर दिया गया।

शिक्षु प्रशिक्षण मंडल (पश्चिमी क्षेत्र) [BOAT(WR)], मुंबई की स्थापना 1969 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत की गई थी। प्रस्तुत समय पर छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, इस मंडल के कार्यान्वयन के दायरे में आते हैं।

पश्चिमी क्षेत्र बोर्ड का क्षेत्राधिकार

श्री एन.एन. वडोदे ,

अधिकार क्षेत्र

श्री वी.वी. देशमुख,

अधिकार क्षेत्र

श्री एन.सी.गांगड़े,

अधिकार क्षेत्र

श्री पी.एच. उके,

अधिकार क्षेत्र